पढ़े माँ की ममता पर 200+ शायरी 2023

 माँ पर दो लाईन शायरी

नमस्कार दोस्तों आप सभी का हमारे व्लोग में स्वागत है। दोस्तों जैसे की आपको तो पता ही है वो माँ ही होती है जो हमें जन्म देकर ये दुनिया दिखाती है, हमें चलना और वोलना सिखाती है। तो आज हम उसी माँ की ममता पर शायरी (ma ki mamta par shayari) लेकर आपके सामने हाजिर हुए हैं। हम सभी जब छोटे होते हैं हमें सबसे ज्यादा प्यारी माँ ही होती हैं उस समय तो और कुछ मिले न मिले पर माँ तो हर समय साथ ही चाहिए पर जैसे जैसे बड़े होते जाते हैं हमारा माँ के प्रति प्यार कम होता जाता है और जब भी माँ पर शायरी (ma par shayari)कहीं लिखी पढ़ लेते हैं तो प्यार वापिस से बढ़ जाता है और हमें माँ के प्यार की याद आ जाती हैं। तो दोस्तों हमें अपने माँ के प्यार को कभी भूलना नहीं हैं और जो मर्जी हो जाये हमें माता-पिता से प्यार करते रहना है। तो आज आपकी डिमांड़ पर माँ पर कुछ लाईन लेकर आया हूँ जो आपको काफी ज्यादा पसंद आयेगा। आप सभी काफी समय से बोल रहे थे कि माँ की तारीफ में शायरी हमें दो तो आज हम आपके सामने माँ पर दो लाईन शायरी लेकर हाजिर हो गये हैं, आशा करते हैं की आपको काफी अच्छी लगेगी।

माँ पर कुछ लाईन

माँ पर दो लाईन शायरी
जिसके होने से मैं खुद को मुक्कम्मल मानता हूँ,
में खुदा से पहले मेरी माँ को जानता हूँ।

घुटनों से रेंगते – रेंगते कब पैरो पर खड़ा हो गया
माँ तेरी ममता की छाँव में न जाने कब बड़ा हो गया

सीधा-साधा भोला-भाला बच्चा हूँ,
कितना भी हो जाँऊ बड़ा ,
माँ तेरे लिए आज भी बच्चा हूँ

बहुत बेचैन हो जाता है जब कभी दिल मेरा,
मैं अपने पर्स में रखी माँ की तस्वीर को देख लेता हूँ

मां वो सितारा है जिसकी गोद में जाने के लिए हर कोई तरसता है,
जो मां को नहीं पूछते वो जिंदगी भर जन्नत को तरसता है।

तुम क्या उसकी बराबरी करोगे
वो तुफानो में भी रोटिया सेक देती है
और वो माँ है जनाब डरती नहीं है
मुस्किलो को तो चूल्हे में झोक देती है

शहर में आ कर पढ़ने वाले ये भूल गए,
किस की माँ ने कितना ज़ेवर बेचा था

गोद मे सुलाकर जब अपनी एक थाप दे,
दुनियाँ स्वर्ग लगे, माँ नींद मे भी अगर झांक दे

ना आसमां होता ना जमीन होती,
अगर मां तुम ना होती।

माँ को नराज करना ,
लोगो की भूल है,
माँ के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है

ma par shayari
मेरी खातिर तेरा रोटी पकाना याद आता है,
अपने हाथो को चूल्हे में जलाना याद आता है।
वो डांट-डांट कर खाना खिलाना याद आता है,
मेरे वास्ते तेरा पैसा बचाना याद आता है।

देख ली पूरी दुनिया घूमकर,
पर माँ के गोद का सुकून कहीं ना मिला

मां तुम्हारे पास आता हूं तो सांसें भीग जाती है,
मोहब्बत इतनी मिलती है की आंखें भीग जाती है।

जब भी कभी जिन्दगी मे खुशियो की बात आती है,
भर जाती है मेरी आँखे और बस माँ तेरी याद आती है

माना कि दूरियाँ
कुछ बढ़ सी गायीं है,
लेकिन “माँ”
तेरे हिस्से का वक्त
आज भी तन्हा गुजारता हूँ|

अपनी माँ को कभी न देखूँ तो चैन नहीं आता है,
दिल न जाने क्यूँ माँ का नाम लेते ही बहल जाता है।

हर घड़ी दौलत कमाने में इस तरह मशरूफ रहा मैं,
पास बैठी अनमोल मां को भूल गया मैं।

यकीनन ईश्वर से बिलकुल कम नहीं है मेरी मां जनाब,
लफ्ज़ कम पड़ जाएंगे उनके एहसान लिखते लिखते

माँ की एक दुआ जिंदगी बना देगी,
खुद रोएगी मगर तुम्हें हँसा देगी….
कभी भूल के भी ना “माँ” को रुलाना,
एक छोटी सी गलती पूरा अर्श हिला देगी….

इतना दर्द सहा है जिंदगी में ,
वो बाते अब जुबां से बयाँ नही होती ,
कब का टुट कर बिखर चुका होता …
अगर मेरे साथ मेरी माँ नही होती।

माँ की ममता पर शायरी

माँ की तारीफ में शायरी
दुआ है रब से वो शाम कभी ना आए,
जब माँ दूर मुझसे हो जाए

दवा असर ना करे
तो नजर उतारती है
माँ है जनाब
वो कहाँ हार मानती है
समन्दर की स्याही बनाकर शुरू किया था लिखना,
खत्म हो गई स्याही मगर माँ की तारिफ बाकी है।

आज लाखों रुपये बेकार हैं
वो एक रुपये के सामने
जो माँ स्कूल जाते वक्त देती थी

किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता,
शायद अब घर से कोई मां के पैर छूकर नहीं निकलता

एक अलग ही सूकुन है उसकी बाहों में ,
अरे भाई वो तो मेरी माँ है ,
बाकी इतना दम कहाँ इन बेवफाओं में

डांट कर बच्चो को खुद अकेले मे रोती है,
वो माँ है साहब, जो ऐसी ही होती है

आज रोटी के पीछे भागता हूँ तो याद आता है मुझे
रोटी खिलाने के लिए माँ मेरे पीछे भागती थी

किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नही मिलता ,
शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नही निकलता

एक तेरा ही प्यार सच्चा है,
माँ औरो की तो शर्ते ही बहुत है

माँग लूँ यह मन्नत की फिर यह जहांन मिले ,
फिर यही गोद मिले , फिर यही माँ मिले

खूबसूरती की इंतहा बेपनाह देखी…
जब मैंने मुस्कराती हुई माँ देखी

आज लाखों रुपये बेकार हैं
वो एक रुपये के सामने
जो माँ स्कूल जाते वक्त देती थी

माँ की तरह कोई और ख्याल रख पाये,
ये तो बस ख्याल ही हो सकता है

दवा असर ना करे
तो नजर उतारती है
माँ है जनाब
वो कहाँ हार मानती है

सख्त राहों में भी आसान सफर लगता है,
यह मेरी मां की दुआओं का असर लगता है

फना कर दो अपनी सारी जिन्दगी ,
अपनी माँ के कदमों मे दोस्तों ,
क्योंकि ये वो मोहब्बत है …
जहाँ बेवफाई नहीं मिलती 

कहते है कि पहला प्यार कभी भुलाया नही जाता,
फिर पता नही लोग क्यो अपने माँ-बाप का प्यार भूल जाते है

आज रोटी के पीछे भागता हूँ तो याद आता है मुझे
रोटी खिलाने के लिए माँ मेरे पीछे भागती थी

जब जब कागज पर लिखा मैंने मां का नाम,
कलम अदब से बोल उठी हो गए चारों धाम

माँ पर शायरी

जो मांगू वो दे दिया कर
ऐ ज़िन्दगी
तू बस
मेरी माँ की तरह बन जा

माँ के लिए क्या लिखू मै…
‘माँ’ की ही तो लिखाबट हूँ मै

मैं क्यों न लिखूं मेरी माँ पर जिसने मुझें लिखा है,
मैंने इस दुनिया में सबसे पहले माँ बोलना ही सीखा है

हजारो गम हो फिर भी मै खुशी से फूल जाता हूँ,
जब हंसती है मेरी माँ , मै हर गम भूल जाता हूँ 

घुटनों से रेंगते-रेंगते जब पैरों पर खड़ा हो गया
माँ तेरी ममता की छाँव में जाने कब बड़ा हो गया

तुम क्या सिखाओगे मुझे प्यार करने का तरीका ,
मैने माँ के एक हाथ से थप्पड़ और दुसरे हाथ से रोटी खाई है

जब दवा काम नहीं आती है,
तब माँ की दुआ काम आती है

उसने मुझे एक थप्पड़ मारा और खुद रोने लगी
सबको खिलाया और खुद बिना खाए सोने लगी

लबो पे उसके कभी बदुआ नही होती,
बस एक माँ है जो कभी खफा नही होती

बुलंदियों का बड़े से बड़ा निशान छुआ ,
उठाया गोद में माँ ने, तब आसमान छुआ

कोई सरहद नहीं होती,
कोई गलियारा नहीं होता,
अगर मां की बीच होती,
तो बंटवारा नहीं होता

बताया नही कभी उसे हमने अपने दिल का हाल फ़िर भी सब समझती है,
बचा लेती है जो हर बार मेरी डूबती हुईं कश्ती हाँ मेरी माँ ही वो हस्ती है

मुफ्त मे सिर्फ माँ बाप का प्यार मिलता है,
इसके बाद दुनियाँ मे हर रिश्ते के लिए कुछ न कुछ चुकाना पड़ता है 

ख़ुद को इस भीड़ में तन्हा नहीं होने देंगे
माँ तुझे हम अभी बूढ़ा नहीं होने देंगे

मुश्किल घड़ी में ना पैसा काम आया,
ना रिश्तेदार काम आये,
आँख बंद की तो सिर्फ मां याद आयी

रौशनी देती हुई सब लालटेनें बुझ गईं
ख़त नहीं आया जो बेटों का तो माएं बुझ गईं

इज्जत भी मिलेगी, दौलत भी मिलेगी,
सेवा करो माँ-बाप की जन्नत भी मिलेगी

बुज़ुर्गों का मेरे दिल से अभी तक डर नहीं जाता
कि जब तक जागती रहती है माँ मैं घर नहीं जाता

उम्र भर खाली यूं ही मकान हमने रहने दिया,
तुम गए तो दूसरे को कभी यहां रहने ना दिया,
मैंने कल सब चाहतों की किताबे फाड़ दी,
सिर्फ एक कागज पर लिखा मां रहने दिया

मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊं
मां से इस तरह लिपट जाऊं कि बच्चा हो जाऊं

माँ की तारीफ में शायरी

तकलीफ मुझे होती है ,
और वो पूरी रात नहीं सोती ,
कैसे बताऊँ उसके बारे में…
अरे यार “माँ ” शब्दों में बयाँ नही होती।

कहीं भी चला जाऊं दिल बेचैन रहता है,
जब घर जाता हूं तो माँ के आंचल में ही सुकून मिलता है

कुछ इस तरह से माँ हर रोज दगा करती थी,
मैं टिफिन में दो रोटी कहता था, वो चार रखा करती थी

कोई कितना भी अच्छा क्यूँ ना हो,
माँ की कमी को कोई पूरा नही कर सकता

मैं रात भर जन्नत की सैर करता रहा यारों
सुबह आँख खुली तो सर माँ के कदमों में था

हर मंदिर, हर मस्जिद और हर चौखट पर माथा टेका,
दुआ तो तब कबूल हुई जब मां के पैरों में माथा टेका।

जो बना दे सारे बिगड़े काम
माँ के चरणों में होते है चारो धाम

सारे जहाँ मे नही मिलता बेशुमार इतना,
सुकुन मिलता है माँ के प्यार मे जितना

हर गली, हर शहर, हर देश-विदेश देखा,
लेकिन मां तेरे जैसा प्यार कहीं नहीं देखा

नहीं समझ पाता इस दिखावे से क्या मिल जाता है
वो हाथ पर माँ खुदवाकर वृद्धाश्रम मिलने जाता है

संवरने की कहां उसे फुर्सत होती है ,
“माँ ” फिर भी बहुत खूबसूरत होती है

पैसो से सब कुछ मिलता है पर,
माँ जैसा प्यार कही नही मिलता

जन्नत का दूसरा नाम माँ है

वो तो बस दुनियाँ के रिवाजो की बात है,
वरना संसार मे माँ के अलावा सच्चा प्यार कौन करता है

कभी चाउमीन, कभी मैगी, कभी पीजा खाया लेकिन,
जब मां के हाथ की रोटी खायी तब ही पेट भर पाया

ये माँ तेरी याद बहुत आती है हमे,
अब तो तेरी दुआये ही बचाती है हमे

माँगने पर जहाँ पूरी हर मन्नत होती है,
माँ के पैरो मे ही तो वो जन्नत होती है

माँ खुद भूखी होती है, मुझे खिलाती है,
खुद दुःखी होती है, मुझे चेन की नींद सुलाती है।

कोई माँ बेटे को ये नही कहती…
कि मुझे खुश रखना,
माँ तो हमेशा इतना ही कहती है बेटा हमेशा खुश रहना

किसी के हिस्से मे घर आयी,
किसी के हिस्से मे दुकान आयी,
मै घर मे था सबसे छोटा मेरे हिस्स मे माँ आयी

क्यूँ बोझ बन जाते है वो झुके हुऐ कंधे,
जिन पर चढ़कर कभी मेला देखा करते थे

माँ तेरे दूध का हक मुझसे अदा क्या होगा!
तू है नाराज ती खुश मुझसे खुदा क्या होगा

माँ पर दो लाईन शायरी

इन्सान वो है जो उसे,
उसकी माँ ने बनाया हो

है एक कर्ज जो हर दम सवार रहता है,
वो माँ का प्यार है सब पर उधार रहता है

हर झुला झूल के देखा पर,
माँ के हाथ जैसा जादू कही नही देखा

नही हो सकता कद तेरा ऊँचा किसी भी माँ से ऐ-खुदा ,
तू जिसे आदमी बनाता है ,वो उसे इंसान बनाती है

बस एक माँ ही ऐसी होती है,
जो पहचान लेती है आँखे सोने से लाल है या रोने से

सर पर जो हाथ फेरे ,
तो हिम्मत मिल जाये ,
एक बार मुस्कुरा दे माँ …
तो जन्नत मिल जाये

जो सब पर कृपा करे उसे ईश्वर कहते है,
जो ईश्वर को भी जन्म दें उसे मां कहते है

कौन कहता है ? बचपन वापस नही आता ,
दो घड़ी माँ के पास बैठकर तो देखो।

हंसकर मेरा हर गम भुलाती है माँ,
मै रोता हूँ तो सीने से लगाती है माँ

जो शिक्षा का ज्ञान दे उसे शिक्षक कहते है,
और जो खुशियों का वरदान दे उसे मां कहते है

माँ है मोहब्बत का नाम ,
माँ को हजारो सलाम ,
कर दे फिदा अपनी जिन्दगी …
आये जो बच्चो का नाम

कौन सी है वह चीज जो यहाँ  नही मिलती ,
सब कुछ मिल जाता है पर माँ नही मिलती

ख्वाब जन्नत का दिखाया जाता है ,
अरे ! जन्नत – वन्नत कुछ नही होता …
 वहाँ तो माँ से मिलाया जाता है।

भटकती हुई राहों की धूल था मैं
जब मां के चरणों को छुआ तो
चमकता हुआ सितारा बन गया।

न अपनों से खुलता है , न गैरो से खुलता है ,
        ये जन्नत का दरवाजा है …
 “माँ” के पैरों से खुलता है

जिसके होने से मै खुद को मुकम्मल मानता हूँ
मै खुद से पहले मेरी माँ को जानता हूँ

मेरी खामोशी मे भी हर एक लफ्ज को पहचानती है ,
अरे वो माँ है … जो हर मंदिर मे मेरे लिए दुआ मांगती है

पहाड़ो जैसे सदमे झेलती है उम्र भर लेकिन,
बस इक औलाद के सितम से माँ टूट जाती है

पूछता है जब कोई मोहब्बत है कहाँ ,
मुस्कुरा देता हूँ क्योंकि …
याद आ जाती है माँ

रानी बना कर रखो, अपनी माँ को,
जैसे वो तुम्हे अपना राजकुमार बना कर रखती है

माँ तेरी तरह मुझको हर कोई माफ नही करता ,
आंसू तो हर कोई देते है …
मगर माँ तेरी तरह इनको कोई साफ नही करता

मां तो वो है जो अगर खुश होकर सर पर हाथ रख दे,
तो दुश्मन तो क्या काल भी घबरा जाए

मुझे मोहब्बत है अपने हाथ की हर ऊँगली से ,
न जाने किस ऊँगली को पकड़ कर माँ ने चलना सिखाया होगा

हर किसी को नहीं मिलता माँ का प्यार,
खुशनसीब है वो जिनको मिली ये बहार

जब नींद नहीं आती,
तब मां की लोरी याद आती है

खुदा से इल्तयाजा है  , एक मेरा काम कर देना ,
मेरे माँ के सारे गम मेरे नाम कर देना

अगर खुशी नहीं दे सकते माँ को,
तो उसे कभी ना रूला देना,
उससे मिले प्यार को तुम,
कभी भी ना भुला देना

मां कहती नहीं लेकिन सब कुछ समझती है,
दिल की और जुबां की दोनों भाषा समझती है

अब भी चलती है जब आँधी कभी ग़म की
माँ की ममता मुझे बाँहों में छुपा लेती है

मेरे बिना बोले तुम,
सब कुछ समझ जाती हो,
ये हुनर मेरी माँ,
तुम कहाँ से लाती हो।

मां की दुआ को क्या नाम दूं,
उसका हाथ हो सर पर तो मुकद्दर जाग उठता है

न जाने क्यो आज के इंसान इस बात से अंजान है ,
 छोड़ देते है बुढापे मे जिसे , वो माँ एक वरदान है

ऐसा कभी समा ना आये,
बिना माँ शाम गुजर जाये

गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें है कितने,
भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी

मेरी तकदीर मे कभी गम नही होता ,
अगर तकदीर लिखने का हक मेरी माँ को होता

सख्त राहो मे भी सफर असान लगता है,
ये मेरी माँ की दुआओ का असर लगता है

बर्तन माज कर माँ चार बेटो को पाल लेती है,
लेकिन चार बेटो से माँ को दो वक्त की रोटी नही दी जाती

ऐ अँधेरे देख मुह तेरा काला हो गया ,
माँ ने आँखे खोल दी, घर मे उजाला हो गया

यूँ ही नही गूँजती किलकारी घर आंगन के कोने में,
जान हथेली पर रखनी पड़ती है…
“माँ” को “माँ” होने में

खाली पड़ा था मकान मेरा,
जब माँ घर आयी तो घर बना

ऐ- मुसीबत जरा सोच के मेरे करीब आ ,
कहीं मेरे माँ की दुआएँ तेरे लिए मुसीबत ना बन जाये

जन्नत के हर लम्हे का दीदार किया था,
गोद मे लेकर जब माँ ने प्यार किया था

न तेरे हिस्से आयी न मेरे हिस्से आयी,
माँ जिसके जीवन में आयी उसने जन्नत पायी

माँ मुझे तेरा साथ जिन्दगी भर नही चाहिए ,
  बस इतना समझ ले माँ…
जब तक तेरा साथ रहे , तब तक जिन्दगी चाहिए

कुछ इस तरह वो मेरे गुनाहो को धो देती है,
माँ बहुत गुस्सा मे हो तो रो देती है

माँ कर देती है पर गिनाती नहीं है,
वो सह लेती है पर सुनाती नहीं है

लिपट को रोती नहीं है कभी शहीदों से
ये हौंसला भी हमारे वतन की माँओं में है

जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है

शहर के रस्ते हों चाहे गाँव की पगडंडियाँ
माँ की उँगली थाम कर चलना बहुत अच्छा लगा

बच्चे तो आखिर बच्चे होते है
उस माँ के लिए हम कहाँ बड़े होते हैं

तेरे डिब्बे की वो दो रोटियां कहीं बिकती नहीं
माँ महगें होटलों में आज भी भूख मिटती नहीं

माँ तेरे दूध का कर्ज़ मुझसे अदा क्या होगा
तू है नाराज़ तो खुश मुझसे खुदा क्या होगा

ऐ तस्बीर,
थोड़ी डांट फटकार लगा देगी क्या
माँ याद आ रही है लोरी सुना देगी क्या

क्या चाहिए कितना बाकी है
सुकून पाने के लिए माँ से बात काफी है

जब माँ के पास आता हूं तो सांसें भीग जाती है,
मोहब्बत इतनी मिलती है की आंखें भीग जाती है।

स्याही ख़त्म हो गई माँ लिखते लिखते
उसके प्यार की दास्तान इतनी लंबी थी

न जाने क्यों आज अपना ही घर मुझे अनजान सा लगता है
तेरे जाने के बाद ये घर-घर नहीं खाली मकान सा लगता है

गम हो, दुख हो या खुशियां
माँ जीवन के हर किस्से में साथ देती है
खुद सो जाती है भूखी 
और बच्चों में रोटी अपने हिस्से की बाँट देती है

एक दुनिया है जो समझाने पर भी नहीं समझती
एक माँ थी बिन बोले सब समझ जाती थी

आजमा कर देखा जग में औरत कब बनती महान है
भगवान से भी वो लड़ सकती इतनी प्यारी संतान है

माँ पर शायरी के बाद इन्हें भी पढ़ें:-

आखरी शब्द:-  

वैसे दोस्तों सभी की जिंदगी में एक माँ ही होती है जो एक महत्वपूर्ण किरदार निभाती है, तो फिर माँ पर शायरी लिखना और पढ़ना तो बनता ही है। जितना प्यार माँ अपने बच्चों से करती है उतना मुझे नहीं लगता कोई और किसी के साथ करता भी होगा इसी बात को ध्यान में रखकर मैंने माँ की ममता पर शायरी लिखी आशा करते हैं की आपको ये अच्छी लगेगी। और दोस्तों माँ पर दो लाईन शायरी लिख रहे थे तो हमें बहुत ही अच्छा लगा और हमें पता है आपको भी इसे पढ़ते समय उतना ही अच्छा लगा होगा। अभी आपको माँ की तारीफ में शायरी ढ़ूढने कहीं भी नहीं जाना होगा यहां पर आपको बहुत ही अच्छी माँ पर कुछ लाईन मिल जायेगी। तो दोस्तोें अगर ये अच्छा लगा हो तो हमें जरूर बताएँ और ऐसे ही आर्टिकल अपने पास पाते रहने के लिए https://www.kuchkhastech.info पर फिर से विजिट करना न भूलें।