Gulzar Shayar In Hindi- Best of Gulzar's

Gulzar Shayari:

नमस्कार दोस्तों आप सभी का एक बार फिर से Kuch Khas Tech में स्वागत है. जैसे की आपको मालूम  ही है की आज भी शायरी हमारे देश में जिन्दा है. और इस शायरी को जिन शायरों ने आज भी जिन्दा रखा है उनके बारे में भी आप जानते ही है. उन्हीं में से एक है गुलज़ार जिनकी शायरी आज भी दिल छू लेती है. तो आज हम आपके सामने ऐसी ही कुछ Gulzar Shayari पेश करने जा रहे है जो की आपका भी मन मोह लेगी. वैसे तो आप यहाँ आये ही गुलज़ार शायरी पढ़ने होंगे, और भला आये भी क्यों न गुलज़ार के जैसा कोई दूसरा है ही नहीं। जिन्होंने अपनी जिंदगी में इतनी शायरियां लिख डाली हो. तो आज हम आपके सामने जो Collection पेश करने वाले है वो भी शायर गुलज़ार के द्वारा ही लिखी गयी है. 
जिंदगी में इंसान कैसा भी हो उसे शायरी सुनना पसंद ही होता है. फिर चाहे उन्हें खुद को शायरी करना अच्छे से आता हो या फिर नहीं. पर फिर जब किसी बड़े शायर की शायरी हम लोग सुनते है तो दिल को ऐसी तसल्ली मिलती मिलती है जिसका कोई हिसाब ही नहीं होता है. जब भी बड़ा शायर कोई लिखता है तो दुनिया से Inspire हो कर ही लिखता है. और जब कोई उनकी इस शायरी को पढ़ता है तो तो ऐसा लगता है की जैसे शायर ने  specially उन्ही के लिए लिखी हो. और कभी कभी तो ऐसा लगता है जैसे शायर ने अपना दिल निकाल के ही रख दिया है. तो दोस्तों ऐसे  शायर है गुलज़ार। तो आज आपके सामने पेश है Gulzar Shayari आशा करता हु की आपको ये पसंद आएगी. 

Gulzar Shayari In Hindi :

Gulzar Shayari


दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है
किसी की आहट सुनता हूँ वीराने में 

मैं कभी सिगरेट पीता नहीं लेकिन
हर आने जाने वाले से पूछ लेता हूँ
माचिस है????
बहुत सी चीजें हैं जिंदगी में जिन्हें
फूंक देता हूँ 

कौन कहता है
हम झूट नहीं बोलते
एक बार खैरियत
पूछ कर तो देखिये 

आज की रात यूँ थमी सी है
आज फिर आपकी कमी सी है 

सेहमा सेहमा डरा सा रहता है
जानें क्यों जी भरा सा रहता है 

रात को उठ ना सका
दरवाज़े की दस्तख़ पे
सुबह बहुत रोया......
तेरे पैरों के निशां देखकर 

इच्छाएं बड़ी बेवफा होती हैं
कम्बख्त पूरी होते ही
बदल जाती हैं..!!

ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए हैं
फिर भी आँखों में चेहरा तुम्हारा समाये हुए हैं
किताबों पर धुल जमने से कहानी कहाँ बदलती है  

चाहे तो आसमान पलट सकती है हवा
पना पलट सकेगी क्या मेरी किताब का ..??

रिश्ते बस रिश्ते होते हैं
कुछ एक पल के
कुछ दो पल के 

आखिर कह ही डाला उसने एक दिन
इस कदर टूटे हो बिखर क्यों नहीं जाते...?
कब तक जिओगे ये दर्द भरी जिंदगी
किसी रात ख़ामोशी से मर क्यों नहीं जाते....!!

गजब है इश्क़ - ऐ - दस्तूर
साथ थे तो एक लफ़्ज़ ना निकला
लवों से मेरे
दूर क्या हुए कलम ने
कहर मचा रखा है 

Gulzar Shayari:

Gulzar Shayari

मुश्किल है आकाश  में चलना
तारे पैरों पे चुभते हैं 

जबसे तुम्हारे नाम की मिश्री होंठों से लगायी है
मीठा सा गम है और मीठी सी तन्हाई है

शायर बनना बहुत आसान है
बस एक महोब्बत की मुकममल डिग्री चाहिए 

मेरी लिखी बात को हर कोई समझ नहीं पाता
क्योंकि...???  में अहसास लिखता हूँ
और लोग अल्फाज पढ़ते हैं 

कोई रिश्ता नहीं रहा फिर भी
एक तस्लीम लाजमी है 

जिनमें जान थी
उन सबका देहांत हुआ
जो चीजें बेजान थी
अबतक जिन्दा हैं 

जानें कब गुम हुआ, कहाँ खोया
एक आँसूं छुपा के रखा था 

जिंदगी सस्ती है साहब
जीने के तरीके महंगे 

चांदी उगने लगी है बालों पे
उम्र तुमपर हसीं लगती है 

चन्दन के बदन में खुशबू है
लेकिन चन्दन पर फूल नहीं आते 

सिर्फ अहसास है यह रूह से
महसूस करो प्यार को प्यार ही  रहने दो
कोई नाम ना दो 

बहुत अंदर तक जला देती हैं वो शिकायतें
जो बयां नहीं होती 

Gulzar Shayari

पनाह मिल जाए रूह को
जिसका हाथ छूकर ,
उसी की हथेली पर घर बना लो 

ख्वाइशें तो आज भी
बगावत करना चाहती हैं
मगर सीख लिया है मैनें
हर बात को सीने में दफ़न करना 

कब आ रहे हो
मुलाक़ात के लिए ,
मैंनें चाँद रोका है
बस एक रात के लिए.

दुआ अगर काम ना आये
तो नजर भी "उतारती" है
यह "मां" है साहब
हार कहाँ मानती है ...!!!

एक कवी यूँ भस्म हुआ
एक सो दर्द जले जब दिल में
एक नज्म का जन्म हुआ

जो सोचा है वह झूठ नहीं
महसूस किया जो पाप नहीं
हम रूह की आग में जलते हैं
यह जिस्म का झूठा पाप नहीं 

ख्वाइशें तो आज भी बगावत करना चाहती हैं
मगर सीख लिए है मैनें
हर बात को सीने में दफ़न करना 

गुलाम थे तो हम सब हिन्दोस्तानी थे
आजादी ने हमें
हिन्दू मुस्लिम बना दिया 

तारीफ़ अपने आप की करना फिजूल है
खुशबू खुद बता देती है
कौन सा ......फूल है

मिलता तो बहुत कुछ है इस जिंदगी में
बस हम गिनती उसी की करते हैं जो
हासिल ना हो सका ....... 

 मेरा क्या था तेरे हिसाब में
मेरा सांस सांस उधार था
जो गुजर गया वो तो वक़्त था
जो बचा रहा वो गुलजार था 

बिना नक़्शे के भी पंछी पहुँच जाते हैं
अपने मुकाम तक
एक इंसान ही है जो
दिल से दिल तक पहुँचने में भी
नाकाम रहते हैं 

Gulzar Shayari

 थोड़ा सकून भी तो ढूंढिए जनाब
यह जरूरतें तो कभी ख़त्म ही नहीं होंगी 

तुम मिले तो क्यों लगा मुझे
खुद से मुलाक़ात हो गयी
कुछ भी तो कहा नहीं मगर
जिंदगी से बात हो गयी 

गुजरते दिनों  का नहीं बल्कि ......
यादगार लम्हों का नाम है जिंदगी 

कुछ जख्मों की कोई उम्र नहीं होती
ताउम्र साथ चलते हैं
जिस्म के खाख होने तक 

बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर
क्योंकि मुझे अपनी
औकात अच्छी लगती है 

में तो चाहता हूँ हमेशा
मासूम बने रहना
यह जो जिंदगी है
समझदार किये जाती है 

जिंदगी छोटी  नहीं होती
लोग जीना ही देर से शुरू करते हैं 

जैसे कहीं रखके भूल गए हैं वो
बेफिक्र वक़्त अब मिलता ही नहीं 

उम्मीद  भी अजनबी लगती है
और दर्द पराया लगता है
आईने में जिसको देखा था
बिछड़ा हुआ साया लगता है 

उम्र जाया कर दी लोगों ने
औरों के वजूद में नुक्स निकालते निकालते
इतना ही खुद को तराशा होता तो
फ़रिश्ते बन जाते 

जब गिला शिकवा अपनों से हो तो
खामोशी ही भली
अब हर बात पे जंग हो
यह जरूरी तो नहीं 

यूँ तो जिंदगी
तेरे सफर से शिकायतें बहुत थी
मगर दर्द जब  दर्ज कराने पहंचे
तो कतारें बहुत ही 

Gulzar Shayari

कुछ रिश्तों में
मुनाफा नहीं होता
पर जिंदगी को
अमीर बना देते हैं 

नाराज हमेशा खुशियां ही होती हैं
ग़मों के इतने नखरे नहीं होते 

तुमको बेहतर बनाने की कोशिश में
तुझे ही वक़्त नहीं दे पा रहे हम
माफ़ करना ऐ जिंदगी
तुझे ही नहीं जी पा रहे हम 

में दिया हूँ
मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से है
हवा तो वेवजह ही
मेरे खिलाफ है 

फैसला नहीं हो पा रहा ..
तनहा रात है ......
या में ...!!!!!

एक परवाह ही बताती है कि
ख्याल कितना है
वार्ना कोई तराजू नहीं होता
रिश्तों को नापने का 

लगता है आज जिंदगी
कुछ खफ़ा है
चलिए छोड़िये
कौन सी पहली दफा है 

बहुत मुश्किल से करता हूँ
तेरी यादों का कारोबार
मुनाफा कम है
पर गुज़ारा हो ही जाता है 

थम के रह जाती है जिंदगी
जब जम कर बरसती हैं
पुरानी यादें 

चूम लेता हूँ हर मुश्किलों को
में अपना मानकर
जिंदगी कैसी भी है
आखिर है तो मेरी 

उम्मीद भी अजनबी लगती है
और दर्द पराया लगता है
आईने में जिसको देखा था
बिछड़ा हुआ साया लगता है 

ए-उम्र ........
अगर दम है तो कर दे इतनी सी खता ,
बचपन तो छीन लिया ,
बचपना छीन कर बता ,

Gulzar Shayari

देखकर दर्द किसी और का
जो आह दिल से निकल जाती है
बस इतनी सी बात तो आदमी से इंसान बनाती है 

मुख़्तसर सा गरूर भी जरूरी है
जीने के लिए
ज्यादा झुक कर मिलो
तो दुनिया पीठ को पायदान बना लेती है 

मेरी कोई खता तो साबित कर
जो बुरा हूँ तो बुरा साबित कर
तुम्हें चाहा है कितना तू क्या जानें
चल में बेवफा ही सही
तू अपनी वफ़ा साबित कर 

कभी तो चौंक के देखे
कोई हमारी तरफ
किसी की आँख में
हमको भी इंतज़ार दिखे 

बिखेरे बैठा हूँ कमरे में सबकुछ
कहीं एक ख़्वाब रखा था
वो भी ग़ुम हो गया  

"ऐब" भी बहुत हैं मुझमें
और खूबियां भी
ढूंढने वाले तू सोच
तुझें चाहिए क्या मुझमें 

काश नासमझी में ही बीत जाए यह जिंदगी
समझदारी ने तो बहुत कुछ छीन लिया 

इतना क्यों सिखाये जा रही हो जिंदगी
हमें कौन सी सदियां बितानी हैं यहाँ 

फुर्सत मिले तो
उनका हाल भी पूछ लिया करो
जिनके सीने में
दिल की जगह तुम धड़कते हो 

होंठ पे लिए कुछ दिल की बात हम
जागते रहेंगे और कितनी रात हम
मुख़्तसर सी बात है "तुमसे प्यार है"
तुम्हारा इंतज़ार है .........

रहे नहीं कुछ मलाल बड़ी शिद्दत से कीजिये
नफरत भी कीजिये तो महोबत से कीजिये 

सोचता था दर्द की दौलत से
एक में ही मालामाल हूँ ....
देखा जब गौर से ......हर कोई रईस है 

Gulzar Shayari

अब खेर तो नहीं
कोई बैर तो नहीं
 दुश्मन जिए मेरा
वो भी गैर तो नहीं 

दोस्तों के नाम का खत्त
जेब में रखकर क्या चला ..... ??
करीब से गुजरने वाले पूछते हैं
इत्र का नाम क्या है..????

सुना है काफी पढ़ लिख गए हो तुम
कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते 

"नजर", "नमाज", "नजरिया"
सब कुछ बदल गया
एक रोज "इश्क़" हुआ
और मेरा "खुदा" बदल गया 

जिंदगी यह तेरी खरोंचें हैं मुझपर या
फिर तू मुझे तराशने की कोशिश में है 

तेरे उतारे हुए दिन पहन के
अब भी में तेरी महक में
कई रोज काट देता हूँ 

चुपचाप बैठे हैं आज सपने मेरे
लगता है आज हक़ीक़त ने
सबक सिखाया है 

अपने अंदर के बच्चे को
हमेशा जिन्दा रखिये साहब
ज्यादा समझदारी भी जिंदगी को बेरंग कर देती है 

थोड़ा सकून भी ढूंढिए जनाब
ये जरूरतें तो  कभी ख़त्म नहीं होंगी 

तोड़ कर जोड़ लो
चाहे हर चीज दुनिया की
सबकुछ काबिल-ऐ-मरमत है
ऐतबार के सिवा 

उठाये फिरते थे अहसास जिनका सीने पर
ले तेरे क़दमों में यह कर्ज भी उतार चले

तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा तो नहीं
तेरे बिना जिंदगी भी लेकिन, जिंदगी तो नहीं 

Gulzar Shayari

उड़ के जाते  पंछी ने बस इतना ही देखा
देर तक हाथ हिलाती  रही वो
साख फिजा में,
अलविदा कहने को, या पास बुलाने को 

हाथ छुए भी तो
रिश्ते नहीं छोड़ा करते 

शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है 

एक छोटा सा लम्हा है
जो ख़त्म नहीं होता
में लाख जलता हूँ
मगर ये भस्म नहीं होता 

सी लो सांस में, होंठ से चख लो
सेहमा रहता हूँ सागर से
सिर्फ एक बून्द हों आँख में रख लो 

तक़दीर ने यह कहकर
बड़ी तसल्ली दी है मुझे
की वो लोग तेरे काबिल ही नहीं थे
जिन्हें मैनें दूर किया 

किताबों से कभी गुजरो
तो यूँ किरदार मिलते हैं
गए वक़्त की ड्योढ़ी में
खड़े कुछ यार मिलते हैं 

उसने कागज़ की कश्तियाँ
पानी में उतारी
और यह कह कर बहा दी की
समुन्दर में मिलेंगी 

क्या जरूरी है
हर महोब्बत मुक्कमल हो
कुछ सफर
मजिल से भी खूबसूरत होते हैं 

खुली किताब के सफ़हे उलटते रहते हैं
हवा चले ना चले दिन पलटते रहते हैं 

महोब्बत के आंसूं हैं
उन्हें आँखों में ही रहने दो
शरीफों के घर के मसले
बाहर नहीं जाते 

बारिश के बाद रात आयना सी थी
एक पैर पानी में पड़ा और चाँद हिल गया 

Gulzar Shayari

उठाये फिरते थे अहसान जिनका सीने पर
ले तेरे क़दमों में ये कर्ज भी उतार चले 

एक नींद है जो लोगों को रात भर नहीं आती
और एक जमीर है, जो हर वक़्त सोया रहता है 

ए हवा उनको कर दे खबर मेरी मौत की
और कहेना,के कफ़न की ख्वाहिश में मेरी लाश
उनके आँचल का इंतज़ार करती है

पलक से पानी गिरा है,
तो उसको गिरने दो
कोई पुरानी तमन्ना,पिंघल रही होगी...!!!

सुनो...जब कभी
देख लुं तुम को
तो मुझे महसूस होता है कि
दुनिया खूबसूरत है

तेरी यादों के जो आखिरी थे निशान,
दिल तड़पता रहा, हम मिटाते रहे.
ख़त लिखे थे जो तुमने कभी प्यार में,
उसको पढते रहे और जलाते रहे

आप के बाद हर घड़ी हमने
आप के साथ ही गुज़ारी है

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक्त की शाख से लम्हे नहीं तोड़ा करते

तुझे पहचानूंगा कैसे?
तुझे देखा ही नहीं
ढूँढा करता हूं तुम्हें
अपने चेहरे में ही कहीं

सुनो….ज़रा
रास्ता तो बताना.
मोहब्बत के सफ़र से,
वापसी है मेरी..

आप के बाद हर घड़ी हमने आप के साथ ही गुज़ारी है.
रात को दे दो चाँदनी की रिदा, दिन की चादर अभी उतारी है.
शाख़ पर कोई क़हक़हा तो खिले कैसी चुप सी चमन में तारी है.
कल का हर वाक़िआ' तुम्हारा था, आज की दास्ताँ हमारी है.

किताबें झाँकती हैं बंद आलमारी के शीशों से
बड़ी हसरत से तकती हैं
महीनों अब मुलाकातें नहीं होती

साथ साथ घूमते हैं
हम दोनों रात भर
लोग मुझे आवारा और उसे
चाँद कहते हैं 

आदमी बुलबुला है पानी का
और पानी की बहती सतह पर
टूटता भी है, डूबता भी है
फिर उभरता है और फिरसे बहता है  

जिंदगी तुझको भुलाया है बहुत दिन हम ने
वक़्त ख़्वाबों में  गवाया है
बहुत दिन हम ने

फुरसत मिले तो उनका हाल भी पूछ लिया करो
जिनके सीने में दिल की जगह तुम धड़कते हो 

भरी रहती है अंदर से कलम
मुंह को बंद रखती है
मगर सब बोल देती है वो
जब कागज़ को चखती है 

तकलीफ खुद ही कम हो गयी
जब अपनों से उम्मीद कम हो गयी 

उसका बादा भी अजीब था
कि जिंदगी भर साथ निभाएंगे
मैनें भी नहीं पूछा
महोब्बत के साथ या यादों के साथ 

दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
मेरा दावा है साहब
बस दोस्तों को आजमाते जाइये 

शोर की तो उम्र होती है
उदासी सदाबहार है 

खत लिखा जो मैनें
इंसानियत के पते पर
डाकिया ही चल बसा
पता ढूंढते ढूंढते 

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
आदत इसकी भी आदमी सी है 

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Final Words :

वैसे तो दोस्तों दुनिया में कई शायर है पर जैसे की आप जानते ही है की असली शायर तो वोही होता है जो की अपने दिल को निकाल कर कागज़ पे लिख दे. और जब ऐसे किसी शायर की हम शायरी पढ़ते है तो सच कहता हूँ दोस्तों दिल ही खुस हो जाता है. वैसे तो दुनिया में ऐसे बहुत से शायर आये थे पर दोस्तों उनमे से Mirza Ghalib Shayari जो थी वो सभी से कमाल की थी. जो भी उसे पढ़ता है आज भी मानता है की मिर्ज़ा ग़ालिब से बड़ा आज तक कोई शायर पैदा ही नहीं हुआ. तो ऐसे ही शायर जिनकी शायरी दिल में जा कर लगती है उन्हीं में से एक गुलज़ार भी है Gulzaar Ki Shayari भी सीधा दिल में जा कर लगती है. और जैसे मुझे पसंद है वैसे ही Gulzaar Shayari आपको भी काफी पसंद होगी.
तो दोस्तों आपको ये शायरी कितनी पसंद है हमें आप कमेंट कर के जरूर लिखे. और comment कर के ये जरूर बताये की आखिर कोनसी शायरी आपको सबसे ज्यादा पसंद आयी है. यदि कुछ आपको पसंद नहीं भी आया है तो आप हमें कमेंट कर के जरूर बता दे. ताकि हम अगली बार अपनी गलती न दोहराये. और दोस्तों ऐसे ही मनोरंजन से भरे हुए content के लिए आप Kuchkhastech.info पर फिर से जरूर visit करे.